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Table of Content
مقدمة والمحتويات
معلومات أساسية عن الكلى
الفشل الكلوي
أمراض الكلى الرئيسية الأخرى
النظام الغذائي في أمراض الكلى

किडनी फेल्योर क्या है?

हमारी किडनी शरीर में संतुलन बने रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती हैं। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बहार निकालते हैं एवं निष्कासन करते हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा (इलेक्ट्रोलाइट्स) को संतुलित करते हैं। वह अतिरिक्त अम्ल एवं क्षार निकालने में मदद करते हैं जिससे शरीर में एसिड एवं क्षार का संतुलन बना रहता है।

शरीर में किडनी का मुख्य कार्य खून का शुद्धीकरण करना है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं।

किडनी फेल्योर का निदान कैसे होता है?

खून में क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा की जाँच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती है। चूंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर की आवश्यकता से अधिक होती है। इसलिए यदि किडनी की बीमारी से थोड़ा नुकसान हो जाए, तो भी खून के परीक्षण में कई त्रुटि देखने को नहीं मिलती है। परन्तु जब रोगों के कारण दोनों किडनी 50 प्रतिशत से अधिक ख़राब हो गई हो, तभी खून में क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जाती है।

क्या एक किडनी खराब होने से किडनी फेल्योर हो सकता है

नहीं, यदि किसी व्यक्ति की दोनों स्वस्थ किडनी में से एक किडनी खराब हो गई हो या उसे शरीर से किसी कारणवश निकाल दिया गया हो, तो भी दूसरी किडनी अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाते हुए शरीर का कार्य पूर्ण रूप से कर सकती है।

किडनी फेल्योर के दो मुख्य प्रकार है

एक्यूट किडनी फेल्योर और क्रोनिक किडनी फेल्योर। इन दो प्रकार के किडनी फेल्योर के बीच का अंतर स्पष्ट मालूम होना चाहिए।

दोनों किडनी के खराब होने पर ही किडनी फेल्योर हो सकता है।

एक्यूट किडनी फेल्योर

एक्यूट किडनी फेल्योर में सामान्य रूप से काम करती दोनों किडनी विभिन्न रोगों के कारण नुकसान होने के बाद अल्प अवधि में ही काम करना कम या बंद कर देती है| यदि इस रोग का तुरन्त उचित उपचार किया जाए, तो थोड़े समय में ही किडनी संपूर्ण रूप से पुन: काम करने लगती है और बाद में मरीज को दवाइ या परहेज की बिलकुल जरूरत नहीं रहती|

एक्यूट किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा और परहेज द्वारा किया जाता है |कुछ मरीजों में अल्प (कुछ दिन के लिए) डायालिसिस की आवश्यकता होती है|

क्रोनिक किडनी फेल्योर

क्रोनिक किडनी फेल्योर (क्रोनिक किडनी डिजीज - CKD) में अनेक प्रकार के रोगों के कारण किडनी की कार्यक्षमता क्रमशः महीनों या वर्षों में कम होने लगती है और दोनों किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं| वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में क्रोनिक किडनी फेल्योर को ठीक या संपूर्ण नियंत्रण करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं है|

क्रोनिक किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा, परहेज और नियमित परीक्षण द्वारा किया जाता है| शुरू में उपचार का हेतु कमजोर किडनी की कार्यक्षमता को बचाए रखना, किडनी फेल्योर के लक्षणों को काबू में रखना और संभावित खतरों की रोकथाम करना है| इस उपचार का उद्देश्य मरीज के स्वास्थ्य को संतोषजनक रखते हुए, डायालिसिस की अवस्था को यथासंभव टालना है| किडनी ज्यादा खराब होने पर सही उपचार के बावजूद रोग के लक्षण बढ़ते जाते हैं और खून की जाँच में क्रीएटिनिन और यूरिया की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, ऐसे मरीजों में सफल उपचार के विकल्प सिर्फ डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण है|

जब दोनों किडनी 50 प्रतिशत से अधिक खराब हो गई हो, तब ही किडनी फेल्योर का निदान हो सकता है|