क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के अलग-अलग मरीजों में किडनी की कार्यक्षमता के आधार पर अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते है| क्रोनिक किडनी फेल्योर की शुरुआत में मरीजों को कोई तकलीफ नहीं होती है|इस अवस्था में मेडिकल चेकअप के दौरान आकस्मिक रूप से, अधिकांश मरीजों में इस रोग का निदान होता है| किडनी की कार्यक्षमता में ज्यादा कमी होने पर ज्यादातर मरीजों में कमजोरी, खून की कमी, सूजन, उच्च रक्त्चाप, रात के समय पेशाब की मात्रा में वृध्धि इत्यादि लक्षण दिखाई देते है| किडनी की कार्यक्षमता जब ८० प्रतिशत तक घट जाए तब अंतिम अवस्था में दिखाई देनेवाले लक्षण जैसे उल्टी, उबकाई आना, कमजोरी महसूस होना, साँस फूलना, खून में फीकापन, खून की उल्टी होना,मरीज को अर्धनिद्रा जैसा लगना, शरीर में ऐठन होना तथा बेहाश होना इत्यादि लक्षण दिखने लगते है|
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